सफर बिना सफर का
भटकता फिर रहा हूं
रास्ते का पता नहीं
मंजिल कहां ले चले
पता नहीं |
बस निकल चला हूं
खुद को जाने
बस निकल चला हूं
खुद को जाने
रोज़ अपने आप से
मुलाक़ात कर लेते हूं
क्या पता किसी रोज
सफर को सफर मिल जाए
बस इतना ही काफी है |
~ राहुल